सपने में जब भी मुझे घबराहट होती है ,
माँ के चले आने की तब-तब आहट होती है
हर ख़याल-ओ-एहसास में उसकी महक शामिल ,
इबादत सी होती है कभी आदत सी होती है
हमेशा ही मिरे गम के ओ मेरे दरमयां यारों ,
मौजूद फासले सी उसकी मूरत होती है
बिन उसके हर इक शय रूठी सी हो जैसे ,
हर मोड़ पे गोया उसकी ज़रुरत होती है
दुनिया में हर कोई भले ही छोड़ दे तन्हा ,
हमेशा साथ, उसके प्यार की इनायत होती है