स्मृति मेरी, उसकी आँखों
में आँसू क्या लायी होगी ?
क्या वो भी घबराई होगी ?
उसकी जाने कितनी यादें
अब भी चलते साथ मेरे ,
उससे की अनगिन संवादें
अब भी रहते पास मेरे ,
पर जो अर्जी है इस दिल की
क्या उसकी सुनवाई होगी ?
क्या वो भी...................
मैं अब भी अपने सपनों का
आधार उसी से पाता हूँ ,
मैं अब भी अपने जीवन का
श्रृंगार उसी से पाता हूँ ,
पर जो साथी छूट गया
क्या उसकी भरपाई होगी ?
क्या वो भी................