घर बदल रहा हूँ
तमाम तैयारियां हो चुकी हैं
सामान बंध गया है
बस तुम्हारी यादें
बिखरी पड़ी हैं चारसू
इस कमरे , उस कमरे
सोफे, पलंग
तकिया, बिस्तर
और
जाने कहाँ-२
उसे कैसे पैक करूँ
पर छोड़ भी तो नहीं सकता
अब तुम भी तो नहीं
कि
नए घर में
नई यादें बना लूँ
इसी सोच में सारी
रात गुज़र गई
कमबख़्त
पर कोई हल नहीं निकला
कल ही घर बदलना है
तमाम तैयारियां हो चुकी हैं
सामान बंध गया है
बस तुम्हारी यादें
बिखरी पड़ी हैं चारसू
इस कमरे , उस कमरे
सोफे, पलंग
तकिया, बिस्तर
और
जाने कहाँ-२
उसे कैसे पैक करूँ
पर छोड़ भी तो नहीं सकता
अब तुम भी तो नहीं
कि
नए घर में
नई यादें बना लूँ
इसी सोच में सारी
रात गुज़र गई
कमबख़्त
पर कोई हल नहीं निकला
कल ही घर बदलना है