कितना दर्द सहूँ मैं
कैसे यूँहि जिऊँ मैं
आजा दीद-फ़रामुश
कब तक राह तकूँ मैं
कब तक यूँहि वहम में
तेरे संग रहूँ मैं
दिन में तम जब फैली
किस को रात कहूँ मैं
क्यूँ मैं ऐब छुपाऊँ
जैसा हूँ वो हूँ मैं
थक कर चूर हुआ अब
कैसे और चलूँ मैं
कैसे यूँहि जिऊँ मैं
आजा दीद-फ़रामुश
कब तक राह तकूँ मैं
कब तक यूँहि वहम में
तेरे संग रहूँ मैं
दिन में तम जब फैली
किस को रात कहूँ मैं
क्यूँ मैं ऐब छुपाऊँ
जैसा हूँ वो हूँ मैं
थक कर चूर हुआ अब
कैसे और चलूँ मैं