खिज़ां* का वक़्त है
कुछ पत्ते गिर चुके हैं
जो शेष हैं
वो ज़र्द* हैं
पर एक डाली
का एक फूल
अकेला,
मदमस्त
का एक फूल
अकेला,
मदमस्त
झूम रहा है
हवा के इशारे पे
हवा के इशारे पे
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खिज़ां* - पतझर
ज़र्द* - पीला