कविता-संसार कहूँ तुमको
मृतप्राय* भावों को तुमने
फिर प्रेम दिया, नव प्राण दिया
मन की खंडित आशाओं को
सम्मान दिया, अरमान दिया
इसीलिए शब्दों में वर्णित
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
तुम तब आये मिलने मुझसे
जब एकाकी था मैं पथ पर
शीतलता दी मन को मेरे
जब सूर्य प्रखर जीवन नभ पर
इसीलिए छंदों में चित्रित
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
तेरी ममता से संचारित
निष्प्राण* देह में पुनः श्वास
और संकट काल मिले जैसे
मन को राहत का उच्छवास*
जीवन से कविता में उद्ध्रित*
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
..................................................................................................
मृतप्राय* = मरा हुआ सा
निष्प्राण* = मरा हुआ
उच्छवास* = उसाँस
उद्ध्रित* = एक जगह से दूसरे जगह लेना
.
मृतप्राय* भावों को तुमने
फिर प्रेम दिया, नव प्राण दिया
मन की खंडित आशाओं को
सम्मान दिया, अरमान दिया
इसीलिए शब्दों में वर्णित
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
तुम तब आये मिलने मुझसे
जब एकाकी था मैं पथ पर
शीतलता दी मन को मेरे
जब सूर्य प्रखर जीवन नभ पर
इसीलिए छंदों में चित्रित
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
तेरी ममता से संचारित
निष्प्राण* देह में पुनः श्वास
और संकट काल मिले जैसे
मन को राहत का उच्छवास*
जीवन से कविता में उद्ध्रित*
सोचा एक बार करूँ तुमको
कविता-संसार....................
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मृतप्राय* = मरा हुआ सा
निष्प्राण* = मरा हुआ
उच्छवास* = उसाँस
उद्ध्रित* = एक जगह से दूसरे जगह लेना
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