अब मैं नज़्में नहीं लिखूँगा
तुम परिधि सकल कविताओं की
अनिवार्य तत्व रचनाओं की
इसीलिए अब तेरे बिन मैं
पोली* ग़ज़लें नहीं कहूँगा
अब मैं........................
जीवन में मधुरस था तुमसे
ये अश्रु धार भी था तुमसे
इसीलिए इन भावों को मैं
व्यक्त कभी अब नहीं करूँगा
अब मैं........................
अर्पित तुमको कविताएं सब
पूरा सर्जन तेरा ही अब
अपनी पीड़ाओं को अब मैं
अपने अंदर ही रख लूँगा
अब मैं........................
..........................................................................
पोली* = खोखली
तुम परिधि सकल कविताओं की
अनिवार्य तत्व रचनाओं की
इसीलिए अब तेरे बिन मैं
पोली* ग़ज़लें नहीं कहूँगा
अब मैं........................
जीवन में मधुरस था तुमसे
ये अश्रु धार भी था तुमसे
इसीलिए इन भावों को मैं
व्यक्त कभी अब नहीं करूँगा
अब मैं........................
अर्पित तुमको कविताएं सब
पूरा सर्जन तेरा ही अब
अपनी पीड़ाओं को अब मैं
अपने अंदर ही रख लूँगा
अब मैं........................
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पोली* = खोखली