Saturday, January 7, 2017

अब मैं नज़्में नहीं लिखूँगा

अब मैं नज़्में नहीं लिखूँगा

          तुम परिधि सकल कविताओं की
          अनिवार्य तत्व रचनाओं की
इसीलिए अब तेरे बिन मैं
पोली* ग़ज़लें नहीं कहूँगा
अब मैं........................


           जीवन में मधुरस था तुमसे
           ये अश्रु धार भी था तुमसे
इसीलिए इन भावों को मैं
व्यक्त कभी अब नहीं करूँगा
अब मैं........................


            अर्पित तुमको कविताएं सब
            पूरा सर्जन तेरा ही अब
अपनी पीड़ाओं को अब मैं
अपने अंदर ही रख लूँगा
अब मैं........................


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पोली* = खोखली