यूँहि मेरे साथ वो चलता चला गया
नज़्म में हरेक उतरता चला गया
था कोई तिलिस्म* या उसकी थी रहबरी*
तीरगी* में नूर जो भरता चला गया
उसके होंठ उसकी नज़र और वो छुअन
नश्शा रफ़्ता-रफ़्ता ये बढ़ता चला गया
कैसा था वो राहगुज़र* कैसा था समा
आँखों में वो चाँद उतरता चला गया
बँध सका हुदूद* में ये आज तक कहाँ
इश्क़ का ख़ुमार था चढ़ता चला गया
कैसा दौर है ये हुकूमत का देश में
नाम हर नगर का बदलता चला गया
....................................
तिलिस्म* = जादू
रहबरी* = राह दिखाना, Comanionship, Guidance
तीरगी* = अंधेरा
राहगुज़र* = रास्ता
हुदूद* = सीमा
नज़्म में हरेक उतरता चला गया
था कोई तिलिस्म* या उसकी थी रहबरी*
तीरगी* में नूर जो भरता चला गया
उसके होंठ उसकी नज़र और वो छुअन
नश्शा रफ़्ता-रफ़्ता ये बढ़ता चला गया
कैसा था वो राहगुज़र* कैसा था समा
आँखों में वो चाँद उतरता चला गया
बँध सका हुदूद* में ये आज तक कहाँ
इश्क़ का ख़ुमार था चढ़ता चला गया
कैसा दौर है ये हुकूमत का देश में
नाम हर नगर का बदलता चला गया
....................................
तिलिस्म* = जादू
रहबरी* = राह दिखाना, Comanionship, Guidance
तीरगी* = अंधेरा
राहगुज़र* = रास्ता
हुदूद* = सीमा