मैं पथ पर बढ़ता जाऊंगा
माना की विपदा सर पर है
ना ही चंदा अम्बर पर है
फिर भी मन में विश्वास लिए
माला मैं गहता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..
माना की तम है परम प्रबल
दिखता सूरज भी है निर्बल
फिर भी मुख पर उल्लास लिए
पीड़ा मैं सहता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..
माना बाधाएँ हैं अनगिन
व सफ़र है करना तेरे बिन
फिर भी मैं लक्ष्याभास लिए
सीढ़ी मैं चढ़ता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..
माना की विपदा सर पर है
ना ही चंदा अम्बर पर है
फिर भी मन में विश्वास लिए
माला मैं गहता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..
माना की तम है परम प्रबल
दिखता सूरज भी है निर्बल
फिर भी मुख पर उल्लास लिए
पीड़ा मैं सहता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..
माना बाधाएँ हैं अनगिन
व सफ़र है करना तेरे बिन
फिर भी मैं लक्ष्याभास लिए
सीढ़ी मैं चढ़ता जाऊँगा
मैं पथ पर.………………..